मध्य प्रदेश राज्य का गठन

मध्य प्रदेश राज्य का गठन :-

1956 से पूर्व स्वतंत्रता के समय मध्यप्रदेश नाम से कोई राज्य अस्तित्व में नहीं था। उस समय राज्यों की कुछ श्रेणियाँ बनी।
उनमें पार्ट ए में सीपी बरार।
पार्ट बी मे मध्य प्रांत
पार्ट सी मे विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य शामिल थे।
सी पी बरार की राजधानी नागपुर थी।
फ़ज़ल अली राज्य पुनर्गठन आयोग, 1956 के अनुसार मध्यप्रदेश का गठन हुआ।
सी पी बरार, बुलढाना, अकोला, अमरावती, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, भंडारा, चांदा। कुल 8 जिले मुंबई महाराष्ट्र को दिया गया।
शेष मध्यप्रदेश में शामिल किए गए।
भानपुरा तहसील मध्यप्रदेश को मिली। सुनेल टप्पा राजस्थान को मिला। बाकी संपूर्ण मध्य भारत का प्रान्त मध्यप्रदेश में शामिल किया गया।
भोपाल एवं विंध्य प्रदेश का पूरा भाग मध्यप्रदेश में शामिल किया गया।
राजस्थान की सिरोंज तहसील विदिशा में सम्मिलित की गई।
1 नवंबर 1956 को नवगठित मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल बनाई गयी । इस समय मध्यप्रदेश में कुल 43 जिले थे।
मध्यप्रदेश का बाह्य या पुनः पुनर्गठन 1 नवंबर, 2000 को मध्यप्रदेश के निर्माण के 44 साल बाद किया गया। जिसमें मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग छत्तीसगढ़ के रूप में पृथक किया गया।
बी. आर. दवे जिला पुनर्गठन समिति की अनुशंसा पर 25 मई 1998 को 10 नए जिले बने उनमें से चार वर्तमान मध्यप्रदेश में शामिल है
खरगोन से बड़वानी
मुरैना से श्योपुर।
जबलपुर से कटनी
और मंडला से डिंडोरी।
10 जून,1998 को सिंहदेव समिति की अनुशंसा पर 8 नए जिले। बने। जिनमें से तीन वर्तमान मध्यप्रदेश के अंतर्गत है,
उमरिया, हरदा और नीमच।
छत्तीसगढ़ के पृथक्करण के बाद 1 नवंबर 2000 मध्य प्रदेश में 45 जिले थे। 15 अगस्त, 2003 को तीन नए जिले बनाए गए
गुना से अशोक नगर।
खंडवा से बुरहानपुर,
शहडोल से अनुपपुर
2008 में दो नए जिले झाबुआ से अलीराजपुर
सिंगरोली सीधी से
16 अगस्त 2003 को शाजापुर से पृथक कर आगर मालवा एक नया जिला बनाया गया

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